28 AUG 2017 AT 17:12

परिन्दा हुं एक दिन उड़ जाऊंगा
इंसान हुं एक दिन सुधर जाऊंगा
यकीं कर मोहब्बत पर मेरी, घुल जा मेरे जिस्म में
ग़र आज चला गया तो कभी बापस न मिल पाऊंगा||

- Iqbal Ⓜalik©