15 JAN 2018 AT 20:28

दुनिया कहती है,
राहत की चुनरी ओढ़ कर सोती है वो

मगर ज़माने को नहीं पता,
बेच कर जिस्म, अश्क पोंछती है वो।।

- Iqbal Ⓜalik©