दुनिया कहती है,राहत की चुनरी ओढ़ कर सोती है वोमगर ज़माने को नहीं पता,बेच कर जिस्म, अश्क पोंछती है वो।। - Iqbal Ⓜalik©
दुनिया कहती है,राहत की चुनरी ओढ़ कर सोती है वोमगर ज़माने को नहीं पता,बेच कर जिस्म, अश्क पोंछती है वो।।
- Iqbal Ⓜalik©