انوراگ ورما   (abhi)
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पूछते हैं वो कि 'ग़ालिब' कौन है,
कोई बतलाओ कि हम बतलाएँ क्या..!!
Joined 29 September 2017


पूछते हैं वो कि 'ग़ालिब' कौन है,
कोई बतलाओ कि हम बतलाएँ क्या..!!
Joined 29 September 2017
9 JAN 2023 AT 1:49

कामयाबी..।

एक बड़ी हसीन चीज है ये..
इसके बिना हर मुक्म्मल शख्स अधूरा है,
चाहे कितनी भी क्षमता हो, इरादा हो,
किस्मत के धनी हो या धन के,
अगर तुम कामयाब नहीं तो जिंदा भी नहीं,
कामयाबी तुम्हारे वजूद का आईना है।
यही इस दुनिया का पैमाना है।।

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9 OCT 2022 AT 23:00

ग़ैरियत भरे इस ज़माने में भी अपनापन ढुंढते हो।
पागल ही हो या तुम सच में कोई फ़रिश्ते हो..।।

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30 SEP 2022 AT 2:37

आहिस्ता-आहिस्ता अब मैं तुम्हें भूलने लगा हूं,
तेरी खुशबुओं को अब मैं यूंही ढूंढने लगा हूं,
कर भी दो कोई इशारा भी अब, प्रिये..
की इन यादों को एक नई जिंदगी मिल जाए..।

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15 SEP 2022 AT 5:52

जिंदगी बिल्कुल रेगिस्तान जैसी हो गई है..
वक्त तापमान सा बदल रहा है।
और मैं रेत सा बिखर रहा हूं।।

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21 JUN 2022 AT 4:25

When the ecstacy of dark fall in,
ashes melt from the frozen..
May the unicorn rises from horizon,
to conquer the feast & souls..

When the edges will clash..
Heavens will cry louder,
whole eyes will be up,
rising the arms higher,
with the eruptions of silence,
till the tiredness of our soul,
till the burden of last breath..
We evolve, We explore, and,
We will make a new world.

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19 JUN 2022 AT 16:53

कोई वादा ना कर.. ऐ काफ़िर,
तेरे बस में तो तू भी नहीं।
ये मुझसे जो है स्नेह तेरा,
मैं तो खुद का हूँ ही नहीं।
वक्त के चलते हवाओं में बहते हैं सभी,
कोई बन्धन जो रोक ले, ये संभव भी तो नही।।

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18 JUN 2022 AT 1:54

कीमतों से भरी इस दुनिया में,
तुम जज्बात कहां से लाओगे।
मशीनों से भरी इस दुनिया में,
तुम इंसानियत किसे सिखाओगे।
जहां ऊंची ऊंची अब इमारतें हैं,
वहां फसल कैसे उगाओगे..
कुछ नाता तो रखो अपनी जमीन से,
राख में एक दिन तो बदल ही जाओगे।
कद्र करो गैरों की भी, अपनों में तो..
तुम भी एक दिन भुला दिए जाओगे..।।

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8 MAR 2022 AT 9:15

उचित है, सम्मान हो, हर स्त्री इसकी हकदार है।
प्रकृति में यह एक अतुल्य किरदार है।
पर क्या नर-नारी में तुलना करना यथार्थ है ?
या फिर ये सिर्फ एक झूठा स्वार्थ है..!!
क्या पुरुष बिन सृजन संभव होगा ?
प्रकृति की परिभाषा मुकम्मल होगी ?
फिर पिता का दायित्व कौन निभाएगा ?
हर परिवार की उलझनों को कौन सुलझाएगा ?
भाई बनकर स्त्री को साहस कौन दिलाएगा ?
क्या फिर कोई प्रेम सम्पूर्ण होगा ?
बिन पुरुष के यह धरा कैसी होगी ?
कभी सोचा है,
जब घर में कोई पुरुष ना हो तो कैसा लगता है ?
अतः हर पुरुष की जननी एक स्त्री है..
तो हर स्त्री की ताकत कोई पुरुष है..।।

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1 JAN 2022 AT 23:58

मृत अतीत को दफना डालो,
अनंत भविष्य तुम्हारे सामने खड़ा है।
लेकिन स्मरण रहे, तुम्हारा हर शब्द;
हर विचार, तुम्हारा हर कर्म,
तुम्हारे भविष्य का निर्माण कर रहा है।।

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15 DEC 2021 AT 1:47

Mostly we spend our whole life trying to please only those people who don't deserve it a bit.

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