यूँ रोज का टूटना टूट कर बिखरनाबिखरे को समेटनासमेट कर जोड़नाऔर फिर से चल पड़नाहै यही ज़िंदगी...है यही ज़िंदगी। -
यूँ रोज का टूटना टूट कर बिखरनाबिखरे को समेटनासमेट कर जोड़नाऔर फिर से चल पड़नाहै यही ज़िंदगी...है यही ज़िंदगी।
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