31 JUL 2017 AT 8:47

यथार्थ और भ्रम !
जुड़वाँ भाई हैं दोनों। एक दूजे के बिना रह नहीं सकते। जब भी भ्रम, भ्रमित करता है यथार्थ अपनी यथार्थता दिखाता है और जब भी यथार्थ रूबरू होता है, भ्रम उसे भ्रमित कर देता है. सभी जीते हैं इन दोनों के साथ शक्कर लिपटी इमली की तरह । खट्टी भी तेज और मीठी भी तेज।
यथार्थ और भ्रम क्या खूब जोड़ी रची है रचनाकार ने जो यथार्थ दे नहीं सकता कभी, भ्रम सर्वथा दे देता है और जो भ्रम दे सकता है सदा, यथार्थ देने नहीं देता……
कभी यथार्थ कभी भ्रम
कभी ख़ुशी कभी ग़म………!!!

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