शीशे की तरह दिल भी चिटकता है फिर टूटता है फ़र्क ! एक में आवाज़ दूजा ख़ामोशी पिरोता है। -
शीशे की तरह दिल भी चिटकता है फिर टूटता है फ़र्क ! एक में आवाज़ दूजा ख़ामोशी पिरोता है।
-