रखूँ इत्तफ़ाक हर बात से ज़रूरी तो नहीं कुछ ख़याल हमारे भी बिखरे हैं फ़िज़ा में। -
रखूँ इत्तफ़ाक हर बात से ज़रूरी तो नहीं कुछ ख़याल हमारे भी बिखरे हैं फ़िज़ा में।
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