क्यों अहसास भर तुम्हारा लबों पे फ़ैल जाता है और पलकें उठती नहीं फिर....! -
क्यों अहसास भर तुम्हारा लबों पे फ़ैल जाता है और पलकें उठती नहीं फिर....!
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