6 JUL 2017 AT 7:41

कहते हैं कि सब तय है लेकिन
क्या सच में सब तय है ?
तय न हो सका आज तक रात-दिन का फ़ासला
फिर दोपहर क्यों ज़रूरी है ज़ख्म उकेरने को
तय तो ये था कि कुछ भी तय न रहेगा कभी
फिर हर घटना तय थी क्यों कहा किसी ने !!!

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