कहते हैं कि सब तय है लेकिन क्या सच में सब तय है ?तय न हो सका आज तक रात-दिन का फ़ासला फिर दोपहर क्यों ज़रूरी है ज़ख्म उकेरने को तय तो ये था कि कुछ भी तय न रहेगा कभी फिर हर घटना तय थी क्यों कहा किसी ने !!! -
कहते हैं कि सब तय है लेकिन क्या सच में सब तय है ?तय न हो सका आज तक रात-दिन का फ़ासला फिर दोपहर क्यों ज़रूरी है ज़ख्म उकेरने को तय तो ये था कि कुछ भी तय न रहेगा कभी फिर हर घटना तय थी क्यों कहा किसी ने !!!
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