ये ज़िद पे अड़ा हैबेसुद पड़ा हैबेदार सी दुनिया में आँखें मूंदे खड़ा हैशोर में भी चुप हैपर ख़ामोशी से डरा है -
ये ज़िद पे अड़ा हैबेसुद पड़ा हैबेदार सी दुनिया में आँखें मूंदे खड़ा हैशोर में भी चुप हैपर ख़ामोशी से डरा है
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पत्तियों, शाख़ से तो पूछो क्यों उनको सताओगेबिछड़ के उससे किसे तुम लुभाओगेऔर तुम भी, क्यों नहीं रोक पाये उसे सूखने के बाद भीक्या नई पत्तियां लाने की वजह से उसे गिराओगे -
पत्तियों, शाख़ से तो पूछो क्यों उनको सताओगेबिछड़ के उससे किसे तुम लुभाओगेऔर तुम भी, क्यों नहीं रोक पाये उसे सूखने के बाद भीक्या नई पत्तियां लाने की वजह से उसे गिराओगे
महज़ तुमसे मिलेने से मेरी ईद हो जाती हैऐसा करो रोज़ मेरी ईद कर देना -
महज़ तुमसे मिलेने से मेरी ईद हो जाती हैऐसा करो रोज़ मेरी ईद कर देना
Muddat Se Nhi Dekha Tha Unhein Meri Eid Yuhi Na Hui Munafiq Tha Mein ! Jo Es Chand Ko Nakarta Gya ( EID MUBARAK ) -
Muddat Se Nhi Dekha Tha Unhein Meri Eid Yuhi Na Hui Munafiq Tha Mein ! Jo Es Chand Ko Nakarta Gya ( EID MUBARAK )
पेड़ से पूछा ये कैसी हवा चला रहे हो " कहा AC से पूछना"परिंदों से पूछा क्यों नही चहचहा रहे हो " कहा मोबाइल के तरंगों से पूछना"बदल से पूछा ये कब क्या बरसा रहे हो " कहा कारखानों से पूछना"नदी से पूछा ये अब क्या पानी पिला रहे हो " कहा नालों से पूछना"पर्वत से पूछा क्यों तुम ढहते जा रहे हो " कहा इमारत से पूछना" पूछ बैठा सूरज से क्यों गर्मी दिखा रहे हो " कहा मशीनों से पूछना"फूलों से पूछा क्यों नही खुशबू उड़ा रहे हो" कहा गुलदस्तों से पूछना"बारी थी अब ख़ुद से पूछने की "मैं सुन्न पड़ गया" -
पेड़ से पूछा ये कैसी हवा चला रहे हो " कहा AC से पूछना"परिंदों से पूछा क्यों नही चहचहा रहे हो " कहा मोबाइल के तरंगों से पूछना"बदल से पूछा ये कब क्या बरसा रहे हो " कहा कारखानों से पूछना"नदी से पूछा ये अब क्या पानी पिला रहे हो " कहा नालों से पूछना"पर्वत से पूछा क्यों तुम ढहते जा रहे हो " कहा इमारत से पूछना" पूछ बैठा सूरज से क्यों गर्मी दिखा रहे हो " कहा मशीनों से पूछना"फूलों से पूछा क्यों नही खुशबू उड़ा रहे हो" कहा गुलदस्तों से पूछना"बारी थी अब ख़ुद से पूछने की "मैं सुन्न पड़ गया"
मेरे ख़्वाब का अब मुझसे ही पर्दादारी हैएक वही दिखता था ग़ैरमहरम हो गया -
मेरे ख़्वाब का अब मुझसे ही पर्दादारी हैएक वही दिखता था ग़ैरमहरम हो गया
कफ़न में लपेट जिस्म को क़ब्र की ओर ले चलेये सब नज़ारा रूह देख रहा था -
कफ़न में लपेट जिस्म को क़ब्र की ओर ले चलेये सब नज़ारा रूह देख रहा था
अपने क़ब्र से कहा कि बड़े बदनसीब हैं हम दोनोंन तुम्हारा ख़्वाब पूरा होता न ही मेरा -
अपने क़ब्र से कहा कि बड़े बदनसीब हैं हम दोनोंन तुम्हारा ख़्वाब पूरा होता न ही मेरा
आहत कर के आते हैं राहत देने फिर उनका sorry से पश्चाताप होता है -
आहत कर के आते हैं राहत देने फिर उनका sorry से पश्चाताप होता है
मैं काला मुझपर रंग न चढ़ पाए कोईतेरी सफेदी रंग बदलती है -
मैं काला मुझपर रंग न चढ़ पाए कोईतेरी सफेदी रंग बदलती है