Imam Saleheen Harish   (ISH)
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Joined 7 October 2017


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Joined 7 October 2017
9 AUG 2022 AT 22:31

ये ज़िद पे अड़ा है
बेसुद पड़ा है
बेदार सी दुनिया में आँखें मूंदे खड़ा है
शोर में भी चुप है
पर ख़ामोशी से डरा है

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26 MAR 2021 AT 19:20

पत्तियों, शाख़ से तो पूछो क्यों उनको सताओगे
बिछड़ के उससे किसे तुम लुभाओगे

और तुम भी, क्यों नहीं रोक पाये उसे सूखने के बाद भी
क्या नई पत्तियां लाने की वजह से उसे गिराओगे

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25 MAY 2020 AT 12:48

महज़ तुमसे मिलेने से मेरी ईद हो जाती है

ऐसा करो रोज़ मेरी ईद कर देना

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25 MAY 2020 AT 2:05


Muddat Se Nhi Dekha Tha Unhein

Meri Eid Yuhi Na Hui


Munafiq Tha Mein !

Jo Es Chand Ko Nakarta Gya



( EID MUBARAK )

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23 MAR 2020 AT 12:59

पेड़ से पूछा ये कैसी हवा चला रहे हो " कहा AC से पूछना"

परिंदों से पूछा क्यों नही चहचहा रहे हो " कहा मोबाइल के तरंगों से पूछना"

बदल से पूछा ये कब क्या बरसा रहे हो " कहा कारखानों से पूछना"

नदी से पूछा ये अब क्या पानी पिला रहे हो " कहा नालों से पूछना"

पर्वत से पूछा क्यों तुम ढहते जा रहे हो " कहा इमारत से पूछना"

पूछ बैठा सूरज से क्यों गर्मी दिखा रहे हो " कहा मशीनों से पूछना"

फूलों से पूछा क्यों नही खुशबू उड़ा रहे हो" कहा गुलदस्तों से पूछना"

बारी थी अब ख़ुद से पूछने की "मैं सुन्न पड़ गया"

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4 MAY 2019 AT 8:47

मेरे ख़्वाब का अब मुझसे ही पर्दादारी है

एक वही दिखता था ग़ैरमहरम हो गया

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3 MAY 2019 AT 23:38

कफ़न में लपेट जिस्म को क़ब्र की ओर ले चले

ये सब नज़ारा रूह देख रहा था

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15 MAR 2019 AT 21:45

अपने क़ब्र से कहा कि बड़े बदनसीब हैं हम दोनों

न तुम्हारा ख़्वाब पूरा होता न ही मेरा

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13 MAR 2019 AT 20:16

आहत कर के आते हैं राहत देने

फिर उनका sorry से पश्चाताप होता है

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9 MAR 2019 AT 21:12

मैं काला मुझपर रंग न चढ़ पाए कोई

तेरी सफेदी रंग बदलती है

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