बड़ा हो गया था उसी दिन,
जिस दिन खुद से आंसू पोछना सीख गया...
जब छोटा था तो माँ को ढूँढता,
ताकि उनके आंचल से आंसू पोछवा सकू...-
माँ आप शब्दों की कोई पहेली नहीं हो,
जिसे सुलझाते ही ममता के सारे राज खुल जाए...
माँ आप ममता की वो सागर हो,
जिसमें जज़्बातों की कितनी नदिया विलीन हो गयी...-
...मुझे नाराज करने वाले मेरे अपने और पराये भी है,
लेकिन मेरी नाराजगी को समझने वाली सिर्फ मेरी माँ है...
...यूँ तो मैं उनसे नाराज होता नहीं पर जब भी होता हूँ, वो समझ जाती है मुझे उनके हाथों का "दाल पूरी और खीर" खानी होती है...
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ना भाई,ना बहन,ना पापा,ना मेरा ईश्वर,बिना मांगे कुछ भी नहीं देते,
और एक मेरी माँ है जिससे कभी कुछ माँगना ही नहीं पड़ता... ❥❣❣❣☻
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मेरी माँ और मैं...
सर पे आंचल रखना भूल गयी थी वो,
दुनिया की नजरो से बचा कर 9 महीने मुझे ओढ़ाया था माँ...
याद है मुझे स्कूल का पहले दिन
सवारा था मुझे नयी दुनिया से मिलाने को माँ...
जान बस्ती दोनों मे,पर जब भी आप
मुझे कहती तू लाडला बेटा है मेरा भाई नाराज हो जाता था माँ...
आज भी बचपन की वो तस्वीर
देख हँस पड़ता हूं, जब मुझे लड़की बनाकर दूसरी बेटी कहा था माँ...
बाबा के मार पे गुस्सा और
आपके मार पे प्यार आता, क्युकी अपने हाथो से खाना खिलाती थी माँ...
मेरी रोटियों मे आज भी स्वाद नहीं
आपकी रोटियों के आगे,खाना बनाना तो आपने ही सिखाया था माँ...
प्रार्थना मे शामिल हू मैं आपके
ग़र लिखनी होती उम्र, अपनी लिख देती पर किस्मत कहा सुनती है माँ...-
मैंने पूरा समुद्र छलकते देखा है,
माँ के आँखों से आंसुओ की एक बूंद मे...-
मेरी माँ
आज किसी ने कहा मेरी उम्र भी लग जाए उसे,
उसके कहते ही पूरी दुनिया लबों पे सिमट गयी,
और बस एक ही नाम निकला "मेरी माँ"-
चलना तो आपने ही सिखाया था माँ....
आप देवकी की गोद हो और यशोदा का आंचल भी,
आप ही तो ममता की मुरत, मेरी देवी हो माँ...
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