HIM@NSHU   (HimAn)
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Short Stories Writer
Joined 20 March 2018


Short Stories Writer
Joined 20 March 2018
8 MAR 2022 AT 22:37

हमारी खुद की कलम है, कैसे रूक जाती...
सरकारी अगर होती...तो कब की बिक जाती ।

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22 DEC 2021 AT 18:30

Andhera hai jara dhyaan se dekh,
Woh sitara koi aur nahin khud tu hai...

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21 DEC 2021 AT 11:56

एक मेहमान हो यहां पर,
यहां घर नहीं यहां किसी का...
लौट जाना होगा वहीं उसी पते पर।

झगड़ना, लड़ना, प्यार करना,
पर जो भी करो पूरी सिद्दत से...
पछतावा न हो किसी बात का,
छीन लिया जाएगा सब हाथ से...
लौट जाना होगा फिर उसी पते पर।

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16 DEC 2021 AT 18:55

कहीं पे पहुंचने के लिए,
हर किसी के दिल से निकालना बहुत जरूरी होता है ।

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15 DEC 2021 AT 16:02

महसूस किया है कभी,

"खामोशी" कभी नहीं रुलाती,
थपथपाती है, दिलासा देती है,
मगर प्यार की भावना उद्दंड है...
वो खमोशी का गला घोटकर खुद रोने लगती है।

महसूस किया है मैंने,

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15 DEC 2021 AT 15:53

कितने छुपे छुपे रहते हैं
इस जमाने में हम...
कोई पढ़ न ले, कोई देख न ले
इस डर में है हम...
हर किसी की कहानी लिखी है
उनमें जीने वाले भी हम...
अंजान पढ़ने वाले, अंजान कुछ कहने वाले
दीपक को लिए अंधेरे में हम...

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15 DEC 2021 AT 15:36

कह तो दे हर दिल की बात,
मगर तुम नाराजगियों को बांध लोगे इस बार।

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15 DEC 2021 AT 13:48

दिल तुम्हारा अब घर है उसका ।
कोई अपने घर में चुप नहीं बैठता ।

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29 NOV 2021 AT 22:31

चलते चले जाना, यूहीं बदहवास ।
न मंजिल, न कोई किनारा, मगर है मोड़, है कई पत्थर ।
बहते चले जाना, पानी की तरह ।।

शीतल रहना, दूषित हो जाना ।
न फिकर, न किसी से उम्मीद, न किसी को दोष देना ।
समुंदर में मिल जाना, जैसे मर जाना ।।

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24 NOV 2021 AT 16:06

कई कहानियां लिखी है इस शहर में मैंने,
खुद की कहानी की परवाह किए बिना।
कितनो को जिंदा किया, कितनो को मारा मैंने,
बहुत कुछ खो दिया, खुद को पाए बिना ।।

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