Himanshu Shakya   (Himanshu shakya)
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Joined 9 March 2018


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Joined 9 March 2018
25 MAR 2023 AT 23:35

तो कहानी यूं शुरू हुई ।

मिले हम उनसे यूं के, अनजान से जान बन गए ।
फिर कुछ यूं हुआ के, जान से अनजान बन गए ।।

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26 OCT 2020 AT 1:18

जी भर के रोना चाहता हूं...
मगर रो नहीं पाता हूं,
पता है क्यों,
क्युकी चुप कराने वाला नहीं है पास में ।।

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26 OCT 2020 AT 1:15

तो कहानी कुछ यूं है,

मैं हादसे से बना हूं ।
कोई कारीगरी नहीं है मुझमें ।।
बस अपनी मुसीबतों को खुशनसीबी समझता हूं ।।

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24 OCT 2020 AT 23:31

रो रो के मेरी आंखों ने भी कह दिया,
मत तड़पा हमें,
हमसे रोज रोज रोया नहीं जाता ।।

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24 OCT 2020 AT 23:25

तुम तो नहीं आती,
मगर तुम्हारी याद ज़रूर आती ।।

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19 OCT 2020 AT 15:48

ہم نے مسکراتے ہوئے کافی عرصہ
ہوا ہے
، گویا اب لگتا ہے
خدا بھی یہ چاہتا ہے
.. چلیں روئے

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18 OCT 2020 AT 21:11

जब से तेरी मोहब्ब्त से बेदखल क्या हुए है,
नींद ने भी अपना आशियाना कहीं और बना लिया है ।।

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18 OCT 2020 AT 21:07

सुनो
आज भी लोग हमें तुम्हारे नाम से जानते है
और तुम हो की पहचानने से भी इंकार कर रहे हो ।।

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18 OCT 2020 AT 21:04

शज़र उन परिंदो को भी बड़े प्यार से बैठाता है ।
जो तेरे वफाओं से गुजर रहे होते है ।।

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18 OCT 2020 AT 21:01

ख्वाब देखकर साया करते थे उसके हम कभी साहब,
आज उन्हीं ख्वाबों ने जगा कर रखा है हमें ।।

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