मुकम्मल जहां की तलाश थी...पर कभी मुकम्मल पल भी न मिले...पता नही सपना गलत था या देखना एक गलती,जब भी याद करो, खुद से होते हैं लाखों गीले... - ✍hERRY
मुकम्मल जहां की तलाश थी...पर कभी मुकम्मल पल भी न मिले...पता नही सपना गलत था या देखना एक गलती,जब भी याद करो, खुद से होते हैं लाखों गीले...
- ✍hERRY