आज हर उत्पाद पर लिखा होता है शुद्ध /असली क्योकि समय के साथ मिलावट संस्कार बन गई है,,, अब कोई पूछता है कि फलाने के लडके/लड़की के बारे में कुछ बताओ तो लोग कहते है कि हमारी कोई ग्यारंटी नही है,,, क्योकि हर नदी में भाँग घुल चुकी है,,,
सोचिये क्या खो चुके है हम,,, भरोसा,,, विश्वास,,,नैतिकता,,, शर्म,,, और सबसे बड़ा धन अपनी प्रतिष्ठा,,, आत्मसम्मान,,,
अपने नैतिक मूल्यों को समझते,,, संस्कारो को पुनः पोषित करते हुए मानवता का गुण अपनाते जीवन जिये हम सभी,,, जय-गोपाल,,, ऊँ-शिव,,,-
❤️🕉️❤️जय-गोपाल❤️🕉️❤️ऊँ-शिव❤️🕉️❤️
सुख और दुख सब क्षणिक ही होते है,,, आनन्द अपार - अनंत होता है,,, उस आनन्द की प्राप्ति का मार्ग अपने आराध्य की भक्ति में होता है,,,
अब वो भक्ति चाहे भगवान के भजन से हो अथवा अपने जन्मदाता माता-पिता की निस्वार्थ सेवा से हो,,,
कर्म एक कर्तव्य है,,, उसका परिणाम प्रतिफल है,,, किन्तु उस प्रतिगल को अपने अनुकूल चाहना निःस्वार्थता का गुण समाप्त करने वाला होता है,,,
❤️🕉️❤️जय-गोपाल❤️🕉️❤️ऊँ-शिव❤️🕉️❤️-
❤️🕉️❤️ऊँ-शिव❤️🕉️❤️
में मेरी माता और पिता की ही लिखावट हूँ,,,, उनके अस्तित्व से ही पहचाना जाऊँगा,,,अंनत दौलत और शोहरत सब क्षणिक रहेंगे,,, मेरे चित्त में बसे मेरे जन्मदाता के आशीर्वाद से जीवन पर्यंत पहचाना जाऊँगा,,, जीवन उपरांत भी उनके कुल के अंश रूप में अमर हो जाऊँगा,,,
❤️🕉️❤️ऊँ-शिव❤️🕉️❤️-
💕🕉️❤️🕉️💕
जय-गोपाल-ऊँ-शिव
💕🕉️❤️🕉️💕
स्वयं के कुटुंब के साथ रहने में आनंद मिले तो स्वर्ग का गंतव्य कही और नही,,,
💕🕉️❤️🕉️💕
अपनो की प्रसन्नता से आप प्रसन्न है तो संतुष्टि किसी और बात में नही,,,
जो प्राप्त है वही पर्याप्त है तो आत्मिक आंनद और कही नही,,,
💕🕉️❤️🕉️💕
अपनों के सानिध्य, में रहते,,उनसे स्नेह करते,,,और धर्मार्थ का अर्जन करते,,, पूर्ण उल्हास के साथ व्यतीत कर जीवन हम सभी,,,
यात्रा में कभी थकान नही आती,,, जब मार्ग में ऊर्जा का संचार करने वाली चाय की दुकान है आती,,,
💕🕉️❤️🕉️💕
अति कष्ट-वेदना से भी उबर जाता हूँ,,, में सदैव,,,परिवार को प्रथम पाता हूँ,,,
💕🕉️❤️🕉️💕
जय-गोपाल-ऊँ-शिव
💕🕉️❤️🕉️💕-
💕❤️💕🌹ऊँ-शिव🌹💕❤️💕
अब यूँ बसजा मेरी आँखो में ,,,कि मेरी नज़र को ख़बर न हो,,,
मुझे हर रात सवार दे,,,और उसके बाद सुबह ना हो,,,
💕❤️💕🌹ऊँ-शिव🌹💕❤️💕
मेरा शिव बड़ा भोला है,,,वह मुझे यह वरदान दे,,,
तुझे भूलने की प्रार्थना करूँ यदि,,,मेरी प्रार्थना को बे-असर कर दे,,,
💕❤️💕🌹ऊँ-शिव🌹💕❤️💕
मेरे भुजाओं में थकी-थकी,,, अभी तो ठहरी है चाँदनी,,,
न उठे सितारों की पालकी,,, अभी आहटों को खामोश करो,,,
💕❤️💕🌹ऊँ-शिव🌹💕❤️💕
ये ग़ज़ल है जैसे हिरन की,,, आँखों में पिछली रात की चाँदनी,,,
न बुझे ख्वाबो की रौशनी,,, कभी बे-चिराग़ ये घर न हो,,,
💕❤️💕🌹ऊँ-शिव🌹💕❤️💕
कभी सुबह की धूप में झूम कर,,,कभी शब के फूल को चूम कर,,,
यूँ ही साथ-साथ चले सदा,,,कभी ख़त्म अपना सफ़र न हो,,,
💕❤️💕🌹ऊँ-शिव🌹💕❤️💕
मेरे पास मेरी ज़िंदगी आ,,,ज़रा दिल के और करीब आ,,,
तुझे धड़कनों में घोल लूँ मैं,,, कि बिछड़ने का कभी नसीब ना हो,,,
💕❤️💕🌹ऊँ-शिव🌹💕❤️💕
कैसे बतलाऊ तुम्हे कि तुम मेरे लिये क्या हो,,,
जो तुम हो तो सब-कुछ है,,, जो तुम नही तो कुछ भी नही,,,
💕❤️💕🌹ऊँ-शिव🌹💕❤️💕-
❤️ऐ मित्र,,,❤️
*कभी याद आये तो आ जाना,,, कभी तू मुझे बुला लेना,,, कि में भी इंसा हूँ,,, गले लग कर अपने मन की बाते कहना है,,, मेरा कोई मायका नही पर तेरे काँधे पर सर रख कर दिल के मनोभाव तुझ से कहना है,,,*
🌹🌹🕉️जय-गोपाल🕉️ ऊँ-शिव🕉️🌹🌹-
💕💕💙💕💕
श्रेष्ठता हर किसी मे नहीं होती,,, जो अथक प्रयास कर अपने कौशल को संवारता है,,, उसके चारित्रिक गुणों के कारण इसका निर्माण होता है,,, एक से अधिक सहोदर सब एक ही कुल के होते हुए भी,,, सब के मूल स्वभाव पृथक-पृथक होते है,,,
❤️❤️💕❤️❤️
अपनी विशिष्टताओं,,, मनोभावों और गुणों को लगातार परिमार्जित करते हुए अपने स्वभाव,,, व्यक्तित्व को सहज,,, निर्मल,,,पावन बनाते जीवन व्यतीत करे हम सभी,,,
💕💕🌹💕💕
-
💕🌹💙🌹💕
अपने कौशल की निपुणता को सदैव विकसित करते रहना ही भविष्य में भी हमारे अस्तित्व को स्थापित रखता है,,,
💕🌹💙🌹💕
अन्यथा जीवित रहते हुए भी हम भूतकाल की गाथाओं में अदृश्य हो जायेंगे,,, अपने गुणों का विकास करते व्यतीत हो जीवन हम सभी का,,,
💕🕉️💕जय-गोपाल,,, ऊँ-शिव,,,💕🕉️💕-
💕💙जब आंख खुली तो मम्मी की
गोदी का सहारा था,,,💙💕💕💙उनका वो आंचल मुझकोभूमण्डल से प्यारा था,,,💙💕💕💙उनके चेहरे की झलक देख,,,चेहरा फूलों सा खिलता था,,,💙💕💕💙उनके स्तन की एक बूंद से,,,
मुझको जीवन मिलता था,,,💙💕💕💙हाथों से बालों को खिंचा,,,पैरों से अंनत प्रहार किया,,,💙💕
💕💙फिर भी मम्मी ने मुझे दुलारा,,,जी भर के ममता को न्यौछारा,,,💙💕💕💙मैं उनका राजा बेटा था,,,वो आंख का तारा कहती थी,,,💙💕
💕💙मैं बनूं सदैव उनका बस,,, एक सहारा कहती थी,,,💙💕💕💙मेरे सारे प्रश्नों को मेरी,,,
आँखों मे देख जान लेती थी,,,💙💕💕💙फौरन जवाब बन जाती थीमेरी राहों के कांटे चुन वो,,,
स्वयं गुलाब बन जाती थी,,,💙💕💕💙में नही भुला उनकी ममता,,,मेरे जीवन की वो थाती थी,,,💙💕
💕💙में नही भुला अपना जीवन,,,माँ के पास अमृत वाली छाती थी,,,💙💕💕💙नही भुला हर गलती पर,,,उसने डांटा समझाया था,,,💙💕💕💙बच जाउं हर बुरी नजर से,,,काला टीका सदा लगाया था,,,💙💕💕💙मां जिसको भी आशीष दे दे,,,वो संदल से सुगन्धित हो जाता है,,,💙💕💕💙मां के चरणों को छूकर पानी,,, भी गंगाजल बन जाता है,,,💙💕
🌹हर जीवन में मां तेरी कोख से ही जन्मु,,,ऐसा संकल्प उठाता हूं,,,मैं तेरी आँखों का तारा बन सदैव आँचल में रहना चाहता हूँ,,,,🌹-
💕💙🌹🌹🌹🌹💙💕
*दुनिया कभी चुप नही रहती है,,,लाख समझाओ वो तो कहती ही रहती है,,,कहने दो उसे जो भी वह कहती है,,, सुनो तुम उतना ही जितने में सच्चाई रहती है,,,*
*अपनी मलंगाई में रहते हुए मलंग,,,अपनी दृष्टि में रहते हुए दबंग,,, सबको करते हुए दंग आओ जिये जीवन हम सब मिलकर सँग,,,*
💕💙🌹🌹🌹🌹💙💕
जय-गोपाल-ऊँ-शिव
💕💙🌹🌹🌹🌹💙💕-