अंधेरों में इश्क के दस्तियाब दफ्न है उजालों में मिल कर मुकर जायेंगे... उनकी इज़्जत है उनका घर है उनकी बात सही है जिनको गैरत है बताओ वो किधर जायेंगे !!!
ये काली रात हैं या मैने देखा है तुम्हारे साड़ी का पल्लू ! ये सितारों की बारात हैं या मैने देखा है तुम्हारे साड़ी का पल्लू ! सुनो ये ना कहना की बहक कर कह रहा हुं तुम्हारे प्रेम में ! वासना और वात्सल का अभूत सार हैं तुम्हारे साड़ी का पल्लू !