2 FEB 2018 AT 5:37

पन्द्रह अगस्त पर लिखी गई एक गाथा है
शहीदों के बलिदानों की यह एक कथा है,

जब आयेगा पन्द्रह अगस्त तिरंगा लहरायेगा कहीं
छोटा मुन्ना धान के खेत में तिरंगा लिए दौड़ेगा कहीं,

खेतों से लेकर चिड़ियों में एक नई बोली होगी
किसी विद्यालय में तीन रंगों की रंगोली होगी,

कोई भगत सिंह, कोई राजगुरु बना होगा कहीं,
कोई आज चन्द्रशेखर के बारे में सुना होगा कहीं,

यह भारत की धरती है, वीरों को उगलेगी
सीमा पर खड़ी सेना जयहिन्द आज जोर से बोलेगी ,

सीमाओं पर मिठाइयों का थाल होगा
कहीं कोई सिपाही मुठभेड़ में अमर शहीद होगा,

जिसने बचपन में देश पर मिटने का सपना देखा होगा
वही इस सावन में अपनी बहन से दूर देश की आन बचाने खड़ा होगा,

यह पन्द्रह अगस्त कोई आम नहीं, मेरा देश अभी नीलाम नहीं
स्वतंत्रा दिवस सभी का है, किसी एक के नाम नहीं,

कौन हिन्दू? कैसा मुस्लमान? हम जाने बस हिंदुस्तान कुछ सिपाही कहते जायेंगे
घर से जो संदूक ले कर गये है, उसी में एक दिन अपनी यादें दे जायेंगे,

कभी पन्द्रह अगस्त तो कभी छब्बीस जनवरी पर सम्मानित किये जायेंगे
स्कूलों में इनके नाम के जयकारे लगाए जायेंगे जय जवान जय जवान,
जयहिन्द

- क्रांतिकारी,,,