लफ्ज छोड़ो मेरी खामोशी को समझ जाना,जी रहीं हूँ बस इसी इक आशा से। - नादान शायर
लफ्ज छोड़ो मेरी खामोशी को समझ जाना,जी रहीं हूँ बस इसी इक आशा से।
- नादान शायर