ये जो हम देखते हैं अपनी खुली आंखों से इस दुनिया को
ये दुनिया ऐसी नहीं
सामने कुछ और हैं और इसकी सच्चाई कुछ और हैं,
कुछ होते हैं जो इसके आर पार देखना सीख जाते हैं
और कुछ होते हैं जो इसे ही सच मान कर जी जाते हैं
मुश्किल होता है दोनो के लिए,
जो उस बोझ को लिए जी रहा हैं
और
जो उस बोझ को जानते हुए भी जी रहा हैं।
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