13 MAY 2018 AT 21:00

मुज़तरिब-सा फिरता हूँ...
उनकी चाह में रुख़ करता हूँ सराब को,
इल्म न था हमें उनके पोशीदा होने का,
हक़ीक़त समझ लिया करता हूँ उस एक ख़्वाब को...

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