Hemant Kumar   (कुमार हेमंत)
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Joined 23 January 2017


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Joined 23 January 2017
8 MAY 2022 AT 23:13

रोशनी की चाह में, आग लगा बैठे,
हम खुद ही अपने हाथ जला बैठे;

सुकून की तलाश थी दोनों को ही,
जाम और शाम मेरे साथ आ बैठे;

बहुत खामियां निकाली मुझमें ही,
मानो हम ही सारे गुनाह कर बैठे;

और कितना मनाऐ तुझे ऐ सितमगर,
अब तो हम खुद ही से रूठ बैठे;

मुझे तो अपनो के साथ चलना है,
वो कोई और थे जो आगे दौड़ बैठे;

उठो, चलो भी, अब आगे बढ़ो,
हद है, तुम तो हौंसला गवां बैठे !!

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25 DEC 2021 AT 0:04

When She said : चाय के साथ मट्ठी भी लोगे ??



Me:

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12 NOV 2021 AT 22:05

"चलो जो हुआ सो हुआ ,
सब भूल कर एक नयी शुरूआत करते हैं ।।"


ऐसा करना भी किसी धोखे से कम नहीं ।।

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8 OCT 2021 AT 23:37

इश्क के मामले में मैं कच्चा निकला;

एक शक्स ओर तोड़ चला मुझे,
जाहिर है, मैं हद से ज्यादा सच्चा निकला ।।

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29 SEP 2021 AT 0:47

शायद सब कुछ ठीक ना भी हो,
पर सब कुछ ठीक करने की आदत जरूरी है ।।

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1 JUN 2021 AT 9:38

शब्दों का क्या है जनाब,
आज याद हैं कल नहीं;

कमबख्त लहजा ताउम्र याद रहता है ।।

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7 APR 2021 AT 21:03

अच्छा बेटी एक बात सुन,
ससुराल में किसी अनजान से कोई बात मत करना ।
और हां, आज सुहाग रात है तेरी;
करने देना उसे जो भी करे,
ज्यादा टोका-टाकी मत करना आखिर पति है वो तेरा
और रही बात एक-दुसरे को जान ने की,
आगे बहुत समय मिलेगा जान लेना ।

ये बात कहते हुए मां ने तो फोन रख दिया,
पर बेटी को अजीब सी दुविधा में डाल दिया ।

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13 MAR 2021 AT 23:11

मैं, एक कप कङक चाय पीने के बाद

😍☕😆

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11 MAR 2021 AT 1:55

We should just leave
some things unsaid.

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13 JAN 2021 AT 21:13

हादसा ये नहीं था कि वो चला गया,
हादसा तो ये हुआ कि वो लौट आया ।।

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