7 DEC 2017 AT 11:27


देख तेरी करतूतों को,
हैवानियत की हदें भी कर रही तेरी कठोर निंदा है!
जाने कितने फूलों को तो तू तोड़ चुका,
आज मासूस कली भी ना बख्शी तूने!
तेरा हवस प्रेम देख,
दरिंदगी भी तुझ पर कितनी शर्मिंदा है!
हाय! तू कैसा दरिंदा है|

- हर्षिता की कलम