चलो आज हम मुस्कुराते हैं ,सारे दुखों को पीठ दिखाते हैंअगर नही बदला है कुछ ,तो कायरों की भाँती हम भी हाथ मीजने बैठ जाते है। - हर्षिता की कलम
चलो आज हम मुस्कुराते हैं ,सारे दुखों को पीठ दिखाते हैंअगर नही बदला है कुछ ,तो कायरों की भाँती हम भी हाथ मीजने बैठ जाते है।
- हर्षिता की कलम