Harshita Hansha   (Hansa)
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Joined 30 July 2017


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Joined 30 July 2017
20 MAY 2020 AT 21:45

उलझन
उलझ-उलझ के उलझनों में,
कई हवाइयाॅ उड़ाई जाती है,
तिनके भी छोड़ दे जमी,वो
पीली सी इक राख उड़ाई जाती हैं,
गीली सी वही जाल बिछाई जाती हैं,
जिसमें परिंदे भी फसते हैं,
मुकम्मल तिनके की तलाश में,
कोई अपनों की आश में,
तो कोई अपनी ही आश में,
फँसता है हर वो शख्स ,
पहचानता जो खुद को नहीं,
कोसता है परछाई को,
खुद ,गुनाहगार समझ के,
तब,
वक्त बदलाव चाहता है ,,,
हाँ तुमसे और सिर्फ तुमसे।।।।।।


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20 MAY 2020 AT 21:03

महाकाली
सृष्टि की उपज से धरती की समझ तक,
कैलाश स्वामिनी,मृदुभाषीनी, तुम ही पार्वती हो माॅ,
गजकेसरी जैसा ऋंगार, चमक हैं परलौकिक,
उद्गम से अंत की, तुम ही आधारशिला हो माॅ,
कण-कण में सुशोभित, कांति सती जैसी,
दुर्जन से सज्जन की ,उपवासक हो माॅ,
मैं तेरी माटी की इक कण,
निष्ठूर हो चली हूँ,
मुझमें प्राण फूंक दो माॅ। ।

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21 FEB 2020 AT 0:17

नाकाम हुई कोशिश तारीफें हजार करके,
और फिर तुम गजलों में,
हम मयखाने में बैठे हैं,,,

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20 FEB 2020 AT 18:56

सिलसिले तामिर की चिंगारी फेक रही हैं,,
पिछले जन्म के पाप, धोनी पड़ रही है,,,,
रगड़न तकलूफ के सीने में हमारे,,,,
नाजानू कैसी खुशनसीबी के हूँ सहारे ,,,,,

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20 FEB 2020 AT 15:22

ख्याल तेरे ख्यालों की तरकस पर सवार ,
गुमनामी की तरफ गुम हूँ,
वासुंदी हकीकत अजीब हूँ,
सराफत की तलवार लिए हुए,,,,
हूँ ज्योति पर स्पर्श विहीन हूँ।

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15 FEB 2020 AT 14:17

हूँ सुकून बेगैरत दिल के इरादों की,
कमी बन जाती हूँ, खुद के सलाखों की,
ना हमसे तालुक रखना, ऐ मेरे दोस्त,
इबादतन मैं भी फरियाद कर लेती हूँ,
खालिस्तान के शाखों की,,,,,,,

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31 JAN 2020 AT 21:09

कुछ कदमों की दूरियों में,
हमने फासले कई तय किए हैं,
जज्बाती हैं मेरी बातें,
वो सारे तुमने सुने हैं,,

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27 JAN 2020 AT 20:44

कुछ शुन्य जिंदगी में, वक्त के साथ आता हैं,
फिर ना इंकार होता हैं, ना इजहार होता हैं,

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26 JAN 2020 AT 23:46

चुनाव अविरक्त सा द्वीभावों में उतपन्न हो गया हैं,
हवाएँ गुमान भरी पर अल्फाज़ो में अकड़न हो गया हैं,,

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26 JAN 2020 AT 18:51

सीमा

नश्वर ,अबोध प्राण, सुसुप्त ज्ञान हैं सीमा,
जीवन के उतार-चढ़ाव की पराकाष्ठा हैं सीमा,
डर, द्वेष, चिंता की अमीठ पहचान हैं सीमा,
सीमा ही हैं, पहचान हर उपेक्षित संसार की ,
जिसका एकमात्र विचार हैं सीमा,

ज्ञान- अज्ञान में चुनाव हो स्वच्छ,
पर स्वच्छता का मापदंड नही हैं सीमा,
गलत हो या सच , हर खुशी की पहचान नहीं ये,
किसी के प्रेम में, कुछ अकांक्षा असीमित रखना,
विरोधाभास का बोध हैं ,किसी पर उपकार की सीमा,

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