21 OCT 2017 AT 20:10

तेरी यादें,
कभी अनुपम एहसास,
तो कभी अटूट विश्वास!
तेरी यादें,
कभी नीला आसमान,
कभी अधूरे अरमान।
तेरी यादें,
कभी दीपावली का धमाल,
तो कभी होली का गुलाल!
तेरी यादें,
कभी नटखट खामोशियाँ,
कभी अल्हड़ बदमाशियाँ!
तेरी यादें,
कभी कुछ मनमानियाँ,
कभी उन्मुक्त शैतानियाँ!
तेरी यादें,
कभी अद्भुत सोलह श्रॄंगार,
कभी पतझड़ में भी बहार!
तेरी यादें,
कभी कागज तो कभी कलम,
कभी कविता तो कभी नज्म!

- हर्षित "नमन"