प्रेम-सद्भाव का जीवन सपन हो गया,दिलों की खलिश में इंसा मगन हो गया।आदमी बना आदमी का दुश्मन यहाँ,गीत-संगीत सब कुछ ही दफन हो गया।विधा-मुक्तक - हर्षित "नमन"
प्रेम-सद्भाव का जीवन सपन हो गया,दिलों की खलिश में इंसा मगन हो गया।आदमी बना आदमी का दुश्मन यहाँ,गीत-संगीत सब कुछ ही दफन हो गया।विधा-मुक्तक
- हर्षित "नमन"