सो गए हैं वीर भारत के तिरंगा ओढ़ कर, चल दिए हैं नेह के वे सारे नाते तोड़ कर। अपने दिल से तुम कभी भी उनको न बिसराना, मर मिटे जो देश पर मासूम बच्चे छोड़ कर।
सूरज की किरणें भी गाथा आज गा रही हैं, भारतीय गणतंत्र पर्व की बधाई है। लहर-लहर लहरा रहा तिरंगा आज, भारत में पूरे गूँज रही शहनाई है। शेखर, सुभाष, अशफ़ाक और बिस्मिल जी, भारती के लालों ने आजादी दिलवाई है। तिरंगा कफ़न ओढ़े पिया आये मण्डप में, प्रेयसी ने रक्त की रोली माथे लगाई है।
साहित्य के वो सतत पुजारी यूँ मुँह मोड़कर चले गए , सारे प्रयास बेकार हुए , वो प्राण छोड़कर चले गए । जीवन पूरा ही किया समर्पित मातृभूमि की सेवा में , हमसे तो दिल का गठबंधन वो आज तोड़कर चले गए ।