एक साथ चलते-चलते,
जब कोई पीछे छूट जाता है,
सब उसको भूलकर,
आगे बढ़ने में व्यस्त रहते हैं,
मुझे दो कदम चल लेने के बाद,
जब किसी के रह जाने का
एहसास होता है,
मैं रुक कर उसके आने तक का
इंतज़ार करता हूँ,
उसके आने के बाद ही,
सफर दोबारा शुरू करता हूँ,
और धीरे-धीरे बाकी सब तक
हम फिर से पहुँच जाते हैं!
इस बार लेकिन पीछे,
मैं छूट जाता हूँ,
और किसी से तो नहीं,
बस उस छूटे हुए से उम्मीद रखता हूँ,
शायद मेरे लिए वो रुका होगा,
पर पता नहीं क्यों,
ये भूल जाता हूँ,
कि
सबका साथ मिलने के बाद,
मुझे याद ही कौन करेगा!
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