26 JUN 2017 AT 18:16

वक्त की राहों में ख़ुद को हम छोड़ आए,
उम्र भर के सफ़र में, जाने कितने मोड़ आए,

दिन मे भागे, रात जागे, सपनों की चादर भीग गई,
कुछ जानी-अनजानी राहों का दम भी घोट आए है,

ज़िन्दगी जीने की चाह में, ज़िन्दगी छोड़ दी हमने
ख्वाबों को मिट्टी का खिलौना बनाकर फ़ोड़ आए है,

हरदम पाने की ज़िद में, रिश्तों को जलाया है,
ज़रूरत को हवा देकर, ख्वाइशों का दिल तोड़ आए।।

- Gulabi_syahi