Harsha Pareek   (Gulabi_syahi)
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Joined 7 June 2017


Joined 7 June 2017
25 FEB 2023 AT 22:28

जान नहीं चली जाएगी तेरे चले जाने से,
साँसे फिर भी चलती रहेगी,
दिल भी धड़कता रहेगा,
नहीं रहेगी तो रूह हमारी,

रुत बदलेगी, बरखा बरसेंगी,
फूल भी खिलेंगे गुलाबी,
नहीं रहेगी तो बहार इस चहरे पे,

चांद भी चमकेगा,
तारे भी टिम टिमायेंगे,
नहीं रहेगी तो नींद इन आँखों में,

जान नहीं चली जाएगी तेरे चले जाने से,
पर जीने की चाह चली जाएगी तेरे जाने से।।

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25 JAN 2023 AT 20:11

जान नहीं चली जाएगी तेरे चले जाने से,
साँसे फिर भी चलती रहेगी,
दिल भी धड़कता रहेगा,
नहीं रहेगी तो रूह हमारी,

रुत बदलेगी, बरखा बरसेंगी,
फूल भी खिलेंगे गुलाबी,
नहीं रहेगी तो बहार इस चहरे पे,

चांद भी चमकेगा,
तारे भी टिम टिमायेंगे,
नहीं रहेगी तो नींद इन आँखों में,

जान नहीं चली जाएगी तेरे चले जाने से,
पर जीने की चाह चली जाएगी तेरे जाने से।।

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15 JAN 2023 AT 21:33

भोर सी चमकती, सांझ सी खिलती हूँ उसमें,
वक़्त सी चलती, लम्हों सी सजती हूँ उसमें,
रंगों सी महकती, मुस्कान सी जचती हूँ उसपे,
जीती हूँ उसके साथ, हर पल मरती हूँ उसपे,
नादान, बेहिसाब, बेशूमार प्यार करती हूँ उससे।।

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2 JAN 2023 AT 20:20

हम अपने लिए एक नाम को तलाशते है,
वो नाम वो तुम खुद ना होके भी तुम्हारा हो,
एक नाम,
जिसके साथ हँसते है, रोते है, जीते है, मरते है,
जिसमें हम सोते है, उठते है, रुकते है चलते है,
हमारा शर्माना, इठलाना, रूठना, मनना,
हमारी बातें, मुलाकातें, शरारते, शिकायतें,
सब एक ही नाम से होता है।।

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22 DEC 2022 AT 21:18

तेरी ख़ातिर हम फ़ना हो जाएंगे,
तेरी खुशियों की राह से दफ़ा हो जाएंगे,
बयां कर देना तुम बहाना वफ़ा ना निभाने का,
कहने को ही सही...
ज़माने के लिए हम बेवफ़ा हो जाएंगे।।

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14 DEC 2022 AT 12:32

प्यार की equation इतनी पेचीदा है,
सिर्फ़ जोड़ लेने से रिश्ते नहीं चलते।

कभी भाग कर घट जाना होता है,
तो कभी square root कर गुणा होना ।

सीख लो गुर जिंदगी के गुलाबी,
सिर्फ़ जोड़ लेने से रिश्ते नहीं चलते।।

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2 DEC 2022 AT 21:16

कहते हैं की चलते रहने का नाम ज़िन्दगी हैं,
पर कुछ हिस्सा ज़िन्दगी ने इंतज़ार को दे दिया,
और कुछ इंतज़ार ने ज़िन्दगी को,

जैसे चौदहवीं के चाँद का पूरा होने का इंतज़ार,
पतझड़ की शाख को बाहर का इंतज़ार।
तपती धूप में छाँव का इंतज़ार,
कलियों के खिलने का इंतज़ार।

इंतज़ार गहरे समंदर में गुम उस पतवार का,
रूठे यार के फिर से मानने का इंतज़ार।
महीने भर काम के बाद तनख्वाह का इंतज़ार,
दिनभर की थकान को गहरी नींद का इंतजार।

और सबका अपने हिस्से का इंतज़ार , जिसे हम भी ज़िन्दगी बुलाते है।।

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1 DEC 2022 AT 20:52

सब जलते है अपने ही सन्नाटों मे
फिर भी कितना शोर है इस शहर में।।

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29 AUG 2022 AT 0:15

गम ए मोह्ब्बत तो बहुत ख़ूब है,
बे इन्तेहा, बे शुमार, बे अदब, बे हद है,
की तेरा नाम लिए जाते है, तुझे भूल जाने के लिए।।

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29 AUG 2022 AT 0:04

दास्तां ए मोह्ब्बत भी क्या ख़ूब है,
की हम दौड़े चले आते है जलने के लिए।।

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