जिस बेनाम बचपन के लिए पूरी जवानीपिताजी की वृहत परछाई को कोसा,उस परछाई को अब देखने पर मालूम होता हैकि वो पिताजी की दी हुई छांव थी। - हर्ष स्नेहांशु
जिस बेनाम बचपन के लिए पूरी जवानीपिताजी की वृहत परछाई को कोसा,उस परछाई को अब देखने पर मालूम होता हैकि वो पिताजी की दी हुई छांव थी।
- हर्ष स्नेहांशु