26 JUN 2017 AT 4:27

जिस बेनाम बचपन के लिए पूरी जवानी
पिताजी की वृहत परछाई को कोसा,
उस परछाई को अब देखने पर मालूम होता है
कि वो पिताजी की दी हुई छांव थी।

- हर्ष स्नेहांशु