Harendra Sinha   (Raj)
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Joined 18 January 2017


Joined 18 January 2017
26 DEC 2020 AT 13:24

जब आप दूसरों को ज़्यादा वक़्त और तरज़ीह देने लगें तो लोग आपको बेवक़ूफ़ समझना शुरु कर देते हैं।

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22 DEC 2020 AT 4:12

ख़ल्क़ तेरी,ख़ुदाई तेरी,ये सारी क़ायनात तेरी,
तो ऐ ख़ुदा,
एक तरतीब तू क्यूं दे नहीं सकता इसको ?
© डॉ० हरेन्द्र सिन्हा.

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7 AUG 2019 AT 9:43

सांसों की ये गठरी
जब बोझ सी हो जाये,
तब बोझ ये चुपके से
उतर जाये तो अच्छा।
© हरेन्द्र.

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23 JUL 2019 AT 6:31

तू मेरी पलकों की पथरीली सीढ़ियां चढ़कर,
ख़्वाब बनकर के मेरे दिल में यूं उतर आई,
जिस तरह चांद किसी रोज़ कोई शाम ढले,
उफ़क पे उठ के किसी छत पे मुस्कुराता है।
©हरेन्द्र.

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13 JUL 2019 AT 10:11

मैं वो शीशा हूं अभी टूट के बिखरा हूं यहां,
तुमने तोड़ा है तो अब तुमसे ही संभलूंगा कहां चलो तोड़ा है सही, जुर्म तो बतला देते
©हरेन्द्र.

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1 JUL 2019 AT 2:27

उनकी बस इक झलक का असर देखिए,
दिल के साग़र में कैसी लहर देखिए।
इधर देखिए या उधर देखिए,
हर तरफ उनका जलवा जिधर देखिए।
मेरी आंखों की वीरानगी ये कहे,
आइये उजड़े से कुछ शहर देखिए।
जो हुनरमंद हैं उनकी सूरत का क्या,
उनके हाथों में क्या है हुनर देखिए।
वक़्ते रुख़सत है अब देखना क्या बुरा,
चाहे दुश्मन ही अब मानकर देखिए।
इस ज़माने में है झूठ का दबदबा,
सच भटकता है अब दर-ब-दर देखिए।
मेरी सूरत में क्या है, उसे छोड़िए,
मेरा दिल देखिए और जिगर देखिए।
उनके जाने का है जाने कैसा असर,
ज़िंदगी अब गई है ठहर देखिए।
जीतने से भी ज़्यादा मज़े हैं,अजी,
ज़िंदगी में कभी हारकर देखिए।
‌‌ ©हरेन्द्र सिन्हा 'राज'

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1 JUN 2019 AT 15:51

साथ में बादलों के उड़ता रहा
जिस्म जाने कहां था ज़ेहन कहां
रात का वो तिलस्म टूट गया,
सर को सीने से क्यूं हटाया है !
© हरेन्द्र.

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2 APR 2019 AT 11:31

अंधेरी राहों में जीवन की न तुम डरना कभी,
मौत से पहले किसी डर से न तुम मरना कभी,
ज़िंदगी जीनी है जबतक यूं ही ख़ुश रहके जियो,
बीती बातों का कभी शोक न तुम करना कभी।
© हरेन्द्र.

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2 APR 2019 AT 11:24

अंधेरी राहों में जीवन की न तुम डरना कभी,
मौत से पहले किसी डर से न तुम मरना कभी,
ज़िंदगी जीनी है जबतक यूं ही ख़ुश रहके जियो,
बीती बातों का कभी शोक न तुम करना कभी।
© हरेन्द्र.

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30 MAR 2019 AT 23:23

सब्ज़ पत्ते तो हरेक हाल में होंगे ही जुदा,

इससे क्या शाख़ भी संग छोड़ चली जायेगी ?

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