Hans Raj   (हंस राज)
8.0k Followers · 350 Following

कलमघसीट @ रेल मंत्रालय, भारत सरकार। 😄😄
लेखक @ अपनी दुनिया में कहीं। 🙃🙂
Joined 30 November 2016


कलमघसीट @ रेल मंत्रालय, भारत सरकार। 😄😄
लेखक @ अपनी दुनिया में कहीं। 🙃🙂
Joined 30 November 2016
9 MAY 2020 AT 21:28

गिरवी रखें हैं कुछ ख़्वाब, तेरी तालीम के लिए
कल गुफ़्तगू के दरमियां सहसा ही बोली माँ।।

-


14 APR 2020 AT 23:07

बिहार तो छोड़ आए हैं...

-


19 JAN 2020 AT 19:40

हवा की हिस्सेदारी बढ़ गई है
दिया की जिम्मेदारी बढ़ गई है ।

मिलावट कर दिया है रिश्तों में जब
वफा की रोजगारी बढ़ गई है ।।

गुलामी से तो अच्छी मुफलिसी है
कम से कम खुद्दारी बढ़ गई है ।

गाँव के हैं छुपाने लग गए हैं
आज कल यह बीमारी बढ़ गई है ।।

-


23 SEP 2019 AT 21:40

यहां शाम-ओ-सहर अच्छा नहीं है
न राही, रहगुज़र अच्छा नहीं है ।
थी मजबूरियां जो घर को छोड़ आए
पता तो था शहर अच्छा नहीं है ।।

-


24 JUN 2019 AT 0:28

सीने की जगह कान में धड़के है मेरा दिल
जब से कहा है उसने के हम फ़ोन करेंगे ।।

©इमरान_रिफत💝

-


7 APR 2019 AT 2:08

मैंने नहीं लिखी तुम पर कोई कविता
यद्यपि लिख सकता था कई कविताएं

तुम्हारी निश्छल मुस्कुराहट पर
खनकते कंगन, कदमों की आहट पर ।

लंबी चुप्पी पर, अविराम बातों पर
दूरी पर, अनगिनत मुलाकातों पर ।।

तुम्हारे होने की सहूलियत पर
या फिर तुम्हारी काबिलियत पर ।

फिर भी,
मैंने नहीं लिखी तुम पर कोई कविता

बस यही सोचकर कि मेरे लिए
किसी भी कविता से कहीं ज्यादा बड़ी हो तुम ।।

-


27 MAR 2019 AT 10:44

जहाँ में ढूंढ रहे हो तो इसे भूल कहो
फूल से लोग किताबों में मिला करते हैं ।

-


6 JAN 2022 AT 22:51

पाना, खोना और खो जाने वालों की भरपाई में
सारा जीवन लग जाता है, रिश्तों की तुरपाई में।।

-


28 OCT 2021 AT 0:56

फूल

-


20 OCT 2021 AT 23:20

आँखें...

-


Fetching Hans Raj Quotes