जख्मो को खुला छोड़ दिया मैंने; इस इन्तजार में, की हमदर्दी मिलेगी मुझे इस जहान में।भूल गया एक पल को, कि होते नहीं जज्बात; जिन्दा लाशों में।। -
जख्मो को खुला छोड़ दिया मैंने; इस इन्तजार में, की हमदर्दी मिलेगी मुझे इस जहान में।भूल गया एक पल को, कि होते नहीं जज्बात; जिन्दा लाशों में।।
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