20 JUL 2018 AT 18:48

जख्मो को खुला छोड़ दिया मैंने; इस इन्तजार में,
की हमदर्दी मिलेगी मुझे इस जहान में।
भूल गया एक पल को, कि
होते नहीं जज्बात; जिन्दा लाशों में।।

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