क़द मेरे पिता ने ख़ुदा से था काफी ऊँचा पाया, बहुत मुश्क़िलों को हराकर उन्होंने सबको दुनिया में डटकर खड़े रहने के काबिल बनाया , क्या बात करूं उनके क़िरदार की मैं.. क़िरदार इस दुनिया में उन्होंने सबसे बेहतरीन है निभाया ! क़द मिला था ख़ुदा से उनको, मगर क़िरदार उन्होने ख़ुद ही, ख़ुद का दुनिया में सबसे बेहतरीन है बनाया ....
One day everyone will depart, Leaving behind trivial things Which were considered life's main part. Living ones will glorify you from the core of their heart It will go on for some days And again they will come back To that main part; Leaving behind your good deeds , Trivial things will again captivate Their heart. Yes! One day everyone will depart.
तय कर चुका हूँ हज़ारोँ मील का सफ़ऱ। लगता है अभी भी वहीं हूँ खड़ा , जहां से था मैं बड़ी मुश्क़िल से चला, क्यूंकि साथ मुसाफ़िर भी हैं कहते- तू एक क़दम भी साथ हमारे ना चला।
बहने दे इन जज्बतों को , इन्हे थमा कर रखने की जरूरत भी क्या है। जब समझ ही नही सकता कोई तम्हारी बात और तुम्हारे हालात , तो बार बार कोशिश करने की जरूरत भी क्या है।
जो खुद में है उसे खुद में ही रहने दे, जज्बात तो ये बेहद है , और लफ्ज़ बहुत ही कम हैं । कुछ भी यू ही जाहिर करने से, बस तू रहने दे। जज़्बात तो ये बेहद हैं , ल्फ्ज़ इन्सान के बहुत कम हैं यू ही इन लफ्जों को आजमाने से, बस रहने दे।
अच्छे होकर भी और बने रहकर भी जब सब कुछ बुरा ही हो। तो क्यो ना बुरे बन जाए , ये तरीका कामियाब जरुर होगा क्योंकि फिर वही होगा जो आपने किया होगा- बुरा ही होगा।