हालात-ए-जंग-ए-ज़िन्दगी से थक चुके, चल आराम फरमाते हैं,
ऐ ज़िन्दगी साथ चल, आज तुझे जीते हैं...
दिन भर की भागदौड़ से चल कुछ लम्हे चुराते हैं,
ऐ ज़िन्दगी साथ चल, आज तुझे जीते हैं...
कुछ तेरे, कुछ मेरे , चल कुछ सपने संजोते हैं,
ऐ ज़िन्दगी साथ चल, आज तुझे जीते हैं...
ज़िम्मेदारियों के नीचे दबी वो बचपन वाली हँसी ढूंढते हैं,
ऐ ज़िन्दगी साथ चल, आज तुझे जीते हैं...
चल कहानियों की किताब से धूल झाड़ आज उसको पढ़ते हैं,
ऐ ज़िन्दगी साथ चल, आज तुझे जीते हैं...
किनारे सागर के बैठ कर चल गोते यादों के लगाते लगाते हैं,
ऐ ज़िन्दगी साथ चल, आज तुझे जीते हैं...
जो केवल कट रही थी अब तक, चल उसे बदलते हैं,
ऐ ज़िन्दगी साथ चल, आज तुझे जीते हैं...
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