Gourav Agrawal  
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Joined 25 July 2017


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Joined 25 July 2017
28 APR 2020 AT 13:27

आंखें खोले, हर शक्स यहां सोता है।
ज़िन्दगी का अंदाज़ा बस सांसों से कहां होता है?
एक दौर था जब कुछ और ही चमक होती थी यहां,
ये शहर तो अब बेजान सा मालूम होता है।

कुछ इस क़दर बेड़ियां बना खुद का ही वजूद,
हर शक्श अब खुद से ही आज़ादी के सपने संजोता है।
न नवरात्रों में रौनक है अब, न ईद का इंतज़ार,
खबर नहीं कब दिन से रात और रात से दिन होता है।

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10 APR 2020 AT 18:18

काश कि उन लम्हों को जी भर के जी लेते,
ना फिर यादों से मोहब्बत होती ना तुझसे शिकवे

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24 MAR 2020 AT 13:05

काश कि तेरी मोहब्बत भी किसी एहसान कि तरह होती
कि फिर तुझे भुला पाना इतना मुश्किल न होता

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23 FEB 2020 AT 9:23

सुनो!

जब मोहब्बत है ही नहीं हमसे
तो ख्वाबों में आना छोड़ क्यूं नहीं देती?

कि हर रात हम तेरे ख्यालों से दामन बचा के सोते हैं,
और कमबख्त ये नींद है कि हमें तेरे और करीब ले आती है।

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19 FEB 2020 AT 12:55

तेरे ख्यालों में अक्सर खुद को बर्बाद किया है
मुकम्मल हो न हो, इश्क़ आबाद किया है
हर पल हर वक़्त, हर ज़र्रे से फरियाद किया है
क्या बताएं हमने तुझे कितना याद किया है

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14 FEB 2020 AT 6:05

एक नज़र तुझे देख कर
हमने ज़िन्दगी भर का सुकून ख़रीद लिया

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11 FEB 2020 AT 22:24

वो हमे अपनी रूह से मिलवाना चाह रहे थे
और हम उनके चेहरे में तेरा चेहरा ढूंढ़ते रह गए

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6 FEB 2020 AT 2:23

वो हसीन सी मुलाक़ात आखरी हो जाएगी
कभी सोचा न था
गर खबर होती इन फासलों की
तुम्हे और करीब से देख लेते
(कुछ और देर ही सही)

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3 FEB 2020 AT 16:40

इंतज़ार ही करते हैं हम अब तो
किसी से उसी शिद्दत से मोहब्बत होने का
जिस शिद्दत से अब भी तुझे चाहते हैं

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12 DEC 2019 AT 22:02

बेकरार थी दुनिया उस रात को
कि चांद बादलों पर से नज़र नहीं आया था
हम सुकून से थे
कि हमें पहले ही 'उनका' दीदार हो चुका था

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