Gopal Vishwakarma   (G.V)
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Joined 28 August 2017


Joined 28 August 2017
1 FEB 2023 AT 2:09

हुए गुमराह इस रह गुज़र में इस कदर,
हम औरों से ख़ुद का पता पूछते हैं…

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3 SEP 2022 AT 4:08

है इल्म मुझे मेरे नाकामियों का,
यूँ हर रोज़ तुझे याद दिलाने की ज़रूरत नहीं…

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31 MAR 2022 AT 0:14

यूँ तो थी मुझमें ख़ूबियाँ कई,
पर उसे पसंद आ जाए,
कोई ख़ूबी इतनी भी ख़ूब नहीं…

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5 JAN 2022 AT 1:26

जिस जिस ने भी नकारा आज तक मुझे,
तारीफ़ मेरी शख़्सियत कि, सब ने बेशुमार की..

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11 DEC 2021 AT 1:32

कैसे बने मृदुभाषी, हर क्षण मन में अंगार है,
सरल चित्त की अभिलाषा और छल कपट संसार है...

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28 NOV 2021 AT 1:22

कुछ और ही था अंत हमारी कहानी का,
तुम्हारा किरदार ये नहीं, जो मैंने लिखा है...

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26 NOV 2021 AT 2:06

कुछ लम्हें जो गुज़रे ख़ुद के साथ में,
मानों उमड़ा हो सैलाब तेज़ बरसात में,
ये शिक़ायत ख़ुद की ख़ुद से है,
मानों एक आयत अधूरी सी है,
लड़ा हूं जो ख़ुद ही से अकसर,
मानों है ये मरहम मेरे ज़ख्मों पर बेअसर,
नामंजूर है ज़रूर यूं बेरुखी नसीब की,
मानों जरूरत हो मेरे यकीन को रकीब की,
पाया ख़ुद को उलझा उन्हीं लम्हात में,
कुछ लम्हें जो गुज़रे ख़ुद के साथ में...

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10 NOV 2021 AT 1:31

आज भी हूं कायल उसके बेबाक अंदाज़ का,
वो दिल तोड़ कर भी मुझसे नज़रें नहीं चुराता...

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30 OCT 2021 AT 2:39

थे वाक़िफ तेरे इरादे मुझे एक अरसे से,
बस मेरी उम्मीदों ने मुझे गुमराह रखा था...

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11 OCT 2021 AT 3:12

कैसे उठे ये आंखें दीदार-ए-हुस्न को,
मेरे नज़ारों में सुकून से ज्यादा दर्द पसरा है..

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