Gk Sharma   (G K)
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Joined 24 March 2018


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27 MAR AT 8:04

हर रोज़ फूट आती हैं चुपके से नयी कोंपलें
मैंने यादों के दरख्तों पर कभी पतझड़ नहीं देखा।

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21 MAR AT 19:52

सह जाता हूं ज़िन्दगी के ताने भी हॅंसकर
शिकायत करना शायद मेरी फितरत में नहीं।

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14 MAR AT 8:05

काफ़िले उनकी यादों के हरदम साथ चलते हैं
मैं तन्हाइयों में भी कभी तन्हा नहीं होता।

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24 FEB AT 18:13

सबसे ख़तरनाक
पहाड़ की चोटी से गिर जाना
सबसे ख़तरनाक नहीं होता
सबसे ख़तरनाक होता है
अपने आदर्शों से गिर जाना।
गंगा की धारा का दूषित हो जाना
सबसे ख़तरनाक नहीं होता
सबसे ख़तरनाक होता है
विचार धारा का दूषित हो जाना।
सांस का टूट जाना
सबसे ख़तरनाक नहीं होता
सबसे ख़तरनाक होता है
विश्वास का टूट जाना।
अपनों का रूठ जाना
सबसे ख़तरनाक नहीं होता
सबसे ख़तरनाक होता है
सपनों का रूठ जाना।

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17 JAN AT 13:22

सितम सर्दी का बहुत बढ़ गया है फिज़ाओं में
चलो,अब एक -दूसरे से जला जाये।

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29 DEC 2023 AT 8:47

कोहरा नफरतों का बढ़ गया है फिज़ाओं में,
मुहब्बत का अब एक सूरज निकलना चाहिए।

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26 DEC 2023 AT 14:10

"वे आंखें "
पंजाब मेल का जनरल कम्पार्टमेन्ट
अनगिनत लोगों की भीड़ के बीच
सीट के एक कोने में दुबकी,सहमी सी
लोगों की निगाहों से खुद को छिपाती
आठ-दस साल की मासूम बच्ची
झील सी गहरी आंखों में उदासी की परत
चेहरा मासूमियत का पर्याय
याद आया, देखा है, इस चेहरे को कहीं
हां, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ
आंदोलन की पोस्टर गर्ल ही तो है वह
नहीं भूलतीं आंदोलन को मुंह चिढ़ाती
उसकी वे उदास आंखें
मानो कह रही थीं
बेटियों को पढ़ाना बाद में
पहले उन्हें बचा तो लो
ज़माने की वहशी निगाहों से।

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17 NOV 2023 AT 10:30

न झॉंको यूं मेरी आंखों के पैमानों में,
अश्कों का एक समन्दर है,छलक जायेगा।

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13 OCT 2023 AT 18:49

मेरी खामोशियों को गर समझ सको तो समझो
बिना अल्फाज़ों की एक उदास ग़ज़ल हूं मैं।

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26 SEP 2023 AT 6:01

कोहरा नफरतों का यकीनन कम हो जायेगा
मुहब्बत का एक सूरज निकलना चाहिए।

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