2 OCT 2019 AT 12:49

क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो
उसे नहीं जो विषहीन दंतहीन और सरल हो...
गाँधी जी अहिंसावादी थे और शास्त्री जी मानते थे की दुश्मन के गले पर हमेशा तलवार रखो ताकि आपके ताक़त तले वो हमेशा भयभीत रहे और आपकी शांती और अहिंसा बकरार रहे|
परमाणु परिवेश में अहिंसा का शास्त्रीकरण गाँधीवाद से कहिं भिन्न नहीं माना जा सकता|

- गिरीश