चलो इक अरसे बाद फिर मुक्क्मल होते हैं।मैं लिखता हूं कोई नज़्म और साथ गुनगुनाते हैं।। -
चलो इक अरसे बाद फिर मुक्क्मल होते हैं।मैं लिखता हूं कोई नज़्म और साथ गुनगुनाते हैं।।
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वो हदों में ही सही, सरहद भी लाघेंगे जरूरआप हवाबाजी करो, वो ना समझेंगे हजूरपांव खायेगी जमीन, जब पेट काटेगा गुरूरखुद ब खुद ही सुस्त होकर, लौट आएंगे मजदूर -
वो हदों में ही सही, सरहद भी लाघेंगे जरूरआप हवाबाजी करो, वो ना समझेंगे हजूरपांव खायेगी जमीन, जब पेट काटेगा गुरूरखुद ब खुद ही सुस्त होकर, लौट आएंगे मजदूर
Girish Rhymes© -
Girish Rhymes©
हम करते शैतानीतुम आंख दिखाती।हम रोते..तुम लाड़ जताती।खातिर हमारी तुम सब कर जातीमाँ.. तुम खुद को भी भूल जाती।तेरी डांट भी प्यारी लगतीतेरी मार हमें ना खलती।हम घबराते, तुम सहलातीनींद भी तेरी गोद में आती।माँ हम कितने भी बड़े हो जाएंकान हमारे खींचते रहना।खुशियां सारी तुमसे ही हैं,खुद को कहीं तुम भूल ना जाना।माँ.. तुम यूं ही हमेशा मुस्कराते रहना। -
हम करते शैतानीतुम आंख दिखाती।हम रोते..तुम लाड़ जताती।खातिर हमारी तुम सब कर जातीमाँ.. तुम खुद को भी भूल जाती।तेरी डांट भी प्यारी लगतीतेरी मार हमें ना खलती।हम घबराते, तुम सहलातीनींद भी तेरी गोद में आती।माँ हम कितने भी बड़े हो जाएंकान हमारे खींचते रहना।खुशियां सारी तुमसे ही हैं,खुद को कहीं तुम भूल ना जाना।माँ.. तुम यूं ही हमेशा मुस्कराते रहना।
I'm not a coffee guy,That's Why,I keep my simplicity as warm as chai. -
I'm not a coffee guy,That's Why,I keep my simplicity as warm as chai.
ओ रे बचपन... कहाँ छिपा तू।खोया किस दुनियादारी मेंआज भी तुझको ढूंढ़ रहे हमदादी की अलमारी में।खोली जब अलमारी तो कुछ किस्सों ने हमको घेर लियारोते-हँसते किस्सों ने जाने क्यों मुंह फेर दिया।फिर बोला इक किस्सा मुझसे ढूंढ़ रहे हो क्या तुम भायेकहाँ रहे तुम अबतकऔर कैसे इतने साल बिताये। -
ओ रे बचपन... कहाँ छिपा तू।खोया किस दुनियादारी मेंआज भी तुझको ढूंढ़ रहे हमदादी की अलमारी में।खोली जब अलमारी तो कुछ किस्सों ने हमको घेर लियारोते-हँसते किस्सों ने जाने क्यों मुंह फेर दिया।फिर बोला इक किस्सा मुझसे ढूंढ़ रहे हो क्या तुम भायेकहाँ रहे तुम अबतकऔर कैसे इतने साल बिताये।
कुछ चहरे जो हमें रोज दिखते हैंहम जानते तो हैं उन्हें पर फिर भी अजनबी होते हैं। -
कुछ चहरे जो हमें रोज दिखते हैंहम जानते तो हैं उन्हें पर फिर भी अजनबी होते हैं।
हम नुक्स ढूंढ़ते रहे उनमेंजो हमें अपना अक्स मान बैठै थे। -
हम नुक्स ढूंढ़ते रहे उनमेंजो हमें अपना अक्स मान बैठै थे।
अब किसे आरजू तेरे शहऱ में बस जाने की है।फ़ना दिन रात किये यहाँ, अब हसरत घर जाने की है। -
अब किसे आरजू तेरे शहऱ में बस जाने की है।फ़ना दिन रात किये यहाँ, अब हसरत घर जाने की है।