आज फिर एक ख़्वाब में,फिर से वही मंज़र देखा !आज फिर उसकी आंखें नम देखी,और अपने हाथों में खंज़र देखा। - गिरीश आर्य:|Girish Aryah
आज फिर एक ख़्वाब में,फिर से वही मंज़र देखा !आज फिर उसकी आंखें नम देखी,और अपने हाथों में खंज़र देखा।
- गिरीश आर्य:|Girish Aryah