8 DEC 2017 AT 14:19

आज फिर एक ख़्वाब में,
फिर से वही मंज़र देखा !
आज फिर उसकी आंखें नम देखी,
और अपने हाथों में खंज़र देखा।

- गिरीश आर्य:|Girish Aryah