एक तरही ग़ज़ल
(२१२२ २१२२ २१२२ २१२)
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याद करके वो मुझे फ़िर... भूल भी जाती तो है
एक हिचकी रोज़ उसके.... नाम से आती तो है
ले गये सब छीन वो... मेरा बचा अब कुछ नहीं
खुश मगर हूँ, पास मेरे..... दर्द की थाती तो है
आतिशे दिल से जला दूँ... मैं ज़मीनो आसमाँ
एक चिनगी साँस मेरी..... रोज़ सुलगाती तो है
हम वफ़ा करते रहे...... नीदें भुला के उम्र भर
बेवफाओ! तुम बताओ नींद अब आती तो है
आदमी को आदमी कर दे.... हुनर वो चाहिए
सीख लो, मिट्टी हमारी ये भी सिखलाती तो है
© Ghumnam Gautam
- Colorless rainbow