"आज ज़माने बाद बारिश हुई है"
कह कर उसने अपने आँसु पी लिए,
चंद लम्हों में उसने
ज़िंदगी के सारे
अच्छे - बुरे पल जी लिए,
ना बादल गरजे - ना आंधी आई,
सुनसान सी रात थी
साथ सिर्फ गुमनामी लाई,
पहले उजालो से दूर थी
आज अंधेरो मे हूँ डूबी,
पहले सिर्फ मुस्काती थी
आज हस्ती हूँ बखूबी,
ना कोई किनारा - ना कोई सहारा
स्थिर हूँ जैसे हवा,
फिर भी घुट - घुट कर
हो रहा है गुज़ारा।
- Gayatri Gupta