मुझे लिखने हैं बहुत सारे पत्र,
हर रिश्ते के लिए,
माँ, बाप, बहिन, भाई, प्रेमिका, दोस्त;
सबको, मतलब सबको;
और कुछ पत्र उनको भी,
जिनसे मैंने कभी मन से बात तक ना की,
और बहुत से उनको जो ना प्रेम हुए ना दोस्त हुए।
कुछ या बहुत से पत्र लिखने हैं,
बिना पते और बिना अभिवादन के,
बहुत सारी लड़कियों और बहुत से दोस्तों को,
जिनसे बहुत कुछ कहा नहीं जा पाया,
क्योंकि उनमें होंगे बस अहसास और जज्बात,
और वक्त के साथ ढूंढ ही लेंगे वो लोग,
उन पत्रों को,
जिनके लिए लिखे गए हैं वो पत्र।
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