20 JUL 2018 AT 15:32

उसकी लम्बी लम्बी बेवजह की बहसों के पीछे ,
छिपी हैं बहुत सी अनकही बातें !
कुछ भी पूछने पर होठों पे आने वाली हसी के पीछे ,
दबी हैं कहीं ढेरों कड़वी यादें ।
खुद ही खुद कब्रगाह है वो खुद की खुशियों !
दफ्न है वहां कई काली रातें ।

- बेपनाह