Gaurav Nihlani   (कुछ_ अल्फ़ाज़)
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Joined 5 March 2018


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5 JUN 2023 AT 5:10

प्रेम में किया गया छल ,

आदमी को अवसाद की ओर ले जाता हैं ।

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5 JUN 2023 AT 5:09

मैं वो नदी तो नहीं जो आवारा सा बहता जाऊ
वो आज़ादी भी नहीं कि कहीं भी मुड़ जाऊ
मेरा कोई सागर भी नहीं जिससे मिलने जाऊ
चार दीवारी के भीतर की तरह मैं महज एक तालाब नसीब में न सागर हैं ना मुझ पर लिखी कोई शायरी
है कुछ हैं तो चारो तरफ से घेरे मुझे ये किनारें ।

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16 JUN 2022 AT 0:09

वो चैन वाला इतवार नहीं आता ,

हर दिन जिम्मेदारिया लेकर आता हैं ।

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16 JUN 2022 AT 0:04

तेरी यादों के मलबे से बने घर के बाहर लिखा था ,

" बेवफाओ का प्रवेश वर्जित हैं "

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15 JUN 2022 AT 23:59

आधे से ज्यादा शायरिया मोहब्बत पर लिखी होती हैं ,

दिल जुड़ने से ज्यादा टूटते हैं शहर में मेरे ।

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15 JUN 2022 AT 23:56

बावला हो गया हैं चांद आज ,

तुम छत पर टहल रही थी क्या ?

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15 JUN 2022 AT 23:55

इश्क़ महज एहसासों में जीवित रहता हैं ,

ऐसा कहने वाले निरे झूठे होते हैं ।

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15 JUN 2022 AT 23:53

मुझे चाह कर भी बहुत कुछ चाहता हैं ,

मोहब्बत हैं नहीं बस जताता हैं ।

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15 JUN 2022 AT 23:50

इश्क़ हमने हजारों से किया हैं ,

मोहब्बत तो पर सिर्फ तुमसे हैं ।

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15 JUN 2022 AT 23:46

ज़ख्म देने वाले के पास गर मरहम हैं ,

मतलब वही तुम्हारी सच्ची मोहब्बत हैं ।

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