Garima Singh   (गरिमा सिंह)
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Joined 22 April 2017


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Joined 22 April 2017
23 MAR 2020 AT 15:23


|प्रेम पत्र|

चार हज़ार साल बाद खुदाई में..
फिर मिलेगी एक सभ्यता
और बिखरे पड़े अवशेषों में प्राप्त होगा...
प्रकृति के नाम एक प्रेम पत्र

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17 JUN 2018 AT 18:31

माँ पर लिखी मेरी कविताओं में,
पिताजी खड़े रहते हैं बनकर पूर्णविराम।

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2 DEC 2019 AT 22:27

Paradoxically, love is more about unlearning rather than learning the theories that you have ever been taught in the fairytales and movies.

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30 APR 2019 AT 12:03

कवितायें बग़ावत हैं..
संसार से...
स्वयं से...

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28 APR 2019 AT 18:48

...क्योंकि 'पाश' ने नहीं लिखा..
"सबसे ख़तरनाक है...
तितली के परों के समान कोमल उन एहसासों का मर जाना..
जिनसे लिखी जा सकती थी सैकड़ों प्रेम कवितायें..."

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7 MAR 2019 AT 22:14

संसार के सारे मोह...
जाति के सारे भेद..
अन्नप्राशन पर मिली चाँदी
की चूड़ियों को त्याग कर...
वह भागेगी उस दिशा की ओर
जिधर भागी थी रुक्मणि...
उस ओर...
जिधर शक्ति ने पाया था शिव को...

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18 FEB 2019 AT 9:51

समय की रेत पर अमिट हस्तछाप छोड़े तमाम लोग
प्रेम व कविता पर दाव लगाते हैं,
यह जानते हुए भी कि
विश्व की सर्वश्रेष्ठ वस्तुएँ रोटी नहीं देती।

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30 JAN 2019 AT 15:01

उससे ज़ियादा बर्बाद आख़िर हो भी तो कौन...
जिसने तमाम उम्र ख़र्च दी सुख़न-वरी में

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24 JAN 2019 AT 21:34

खरा प्रेम व कविताई, गहरी इनकी छाप |
जीवन का आधार भी, औ मृत्यु बाद का जाप ||

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10 JAN 2019 AT 18:46

||बिसलेरी की बोतल||

हाथ में बिसलेरी की बोतलें लिए
सरकारी बसों के पीछे भागते बच्चे,
भारत का एक मात्र सच हैं।

और बिसलेरी की बोतलें,
सबसे बड़ा फ़रेब।

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