Mukta Rathore   (Save Soil)
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Joined 23 April 2018


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Joined 23 April 2018
22 MAY 2022 AT 11:04

मिट्टी ने दिया वो सब, जो पहचान बना हमारी
मिट्टी की ही परवरिश में, उज्ज्वल हुआ संसारी
उसी मिट्टी के रक्त से, अब सना हुआ है प्राणी
मान जा, तू वक़्त रहते, साफ करले चोली.....

Action Now: savesoil.org

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9 FEB 2021 AT 0:05

वृक्षों से सीखा है हमने, कैसे परहित का सुख लेना..
जीवन के हरेक कदम पे, कैसे अपनों के संग रहना..
प्रेम सूत्रके धागे को, किस प्रकार सहेजकर रखना..
हठी, मूढ़ी इस चंचल मन को,
निर्मल और निश्छल बनाकर रखना..

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9 AUG 2020 AT 11:29

Link in caption and in Bio for

"विचारधारा.. ScrappyThoughts 2020"

On Amazon Kindle

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19 JUL 2020 AT 22:49

तस्वीर.. एक बूढ़ी माँ की नई तकनीकि के साथ काम करने की..

तस्वीरों के खेल में न उलझिये,
सच्चाई! इसे पाने में ज़िन्दगी खुद बीत जाएगी।
कोशिश तो की थी...
उस माँ को चैन की नींद देने की,
देख उसको फिर ऐसे आँखें भर आएँगी।।

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30 JUN 2020 AT 22:22

ख़ामोशी का चेहरा इतना अजीज़ है,
पहले पता होता..
तो बकबक में समय गुज़रा ना होता ❤️

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29 JUN 2020 AT 22:32

लोगों के ज़हन को चीड़ता हुआ
धुआँ-सा घूमता हुआ
और साँसों में रेंगता हुआ
ये फुटकू-सा कीड़ा धमाका मचा रहा..

इसके ना पैर हैं ना हाथ हैं
अपनी ही मस्ती में पगलाए जा रहा
बेवकूफ-सा बिन बुलाए ही घर में घुस रहा
और लोगों के झूने पर काला जादू कर रहा

ऐसा corona जब दुनिया पे झाए
तो भूले भटके लोग फिर से घर वापस आए
वही छोटे-मोटे संस्कार जो बचपन में घूमने गए थे
...चीन
.
.
अब जाकर सबने अपनाए..


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28 JUN 2020 AT 8:08

किसी ने कागज़ के टुकड़ों का मोल है आँका (धन)..
तो किसी ने मदद और ख़ुशी का सुख औरों को बाँटा..
ज़िन्दगी कह चली सभी से ये फ़कीरा...
इंसानियत के रंग ने सबको प्रेम से है सँवारा..

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25 JUN 2020 AT 22:29

वक़्त-वक़्त की बात है, कभी इंसां तो कभी राख है।
दिखाते तो सब स्वर्ग हैं, पर होता नरक का द्वार है।।
(अनुशीर्षक..)

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24 JUN 2020 AT 23:12

ख़ुदा ने बक्शी है जन्नत बच्ची के रूपसा
पिता के प्रेम से उसने सँवारा है रंगसा..
कुछ कमी भी होती गर उसकी छाओं में
भर देता वो उसे माँ के सम्पन्न आँचल से..

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23 JUN 2020 AT 17:35

हम चीनी पदार्थ नहीं छोड़ सकते
बिल्कुल भी नहीं छोड़ सकते
..पर शुरुआत तो कर सकते ना।

हमारे देश के सैनिक जिन हथियारों से मारे जाते हैं
..कस-म-कस उन हथियारों में जंग तो लगा सकते ना।

थोड़ा निजी स्वार्थ को कम करना है बस
थोड़ा अपने लिए नहीं, देश के लिए जीना है बस
..भारत का परचम लहराने में थोड़ा तो सहयोग कर सकते ना।

हम चीनी पदार्थ नहीं छोड़ सकते
..पर शुरुआत तो कर सकते ना।

इसपर विचार कीजिए, सही लगे तो साझा कीजिए..
जय हिन्द 🙏

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