मैं तुमसे मिलकर तुम सा हू-बहू हो जाऊँऐसे लिपटूँ के फिर कोई आरज़ू हो जाऊँ|तयमुम की मिट्टी सी हो पाकीज़ा तुमएक झलक देख लूँ तो बा-वुज़ू़ हो जाऊँ ।। - फ़ैज़ान_
मैं तुमसे मिलकर तुम सा हू-बहू हो जाऊँऐसे लिपटूँ के फिर कोई आरज़ू हो जाऊँ|तयमुम की मिट्टी सी हो पाकीज़ा तुमएक झलक देख लूँ तो बा-वुज़ू़ हो जाऊँ ।।
- फ़ैज़ान_